रविवार, 3 अक्तूबर 2010

तेरे बिना

उदास दिल की ये तन्हाई हैं,
तेरे बिना ये आँख भर आई हैं.

जुस्तजू हैं तेरी,आरजू हैं तेरी,
आ भी जाओ, ना सताओ,
बेकरारी सी छायी हैं.

सुबह से खुबसूरत, तेरी अंगडाई हैं,
हर तरफ तू ही तू नजर आई हैं,
महफ़िल रौनक छोड़कर बेरंग नजर आई हैं.

ना जाने कब होगी मुलाकात,
धडकता सीना, रुकेसे जजबात,
अकेलापन सहा नहीं जाता, दुनिया लगती परायी हैं.