शनिवार, 28 अप्रैल 2012

भुले हुए रिश्तें

आज मैंने अपने सारे रिश्ते छोड़  दिए
जिस्म से उतारे हुए कपड़ों की तरह.

जब भी कभी उदास होता
और कुछ लिखता तो
वो बोलती इतना क्यों
नाराज होते हो, भुल जाओ

क्या मालूम था के
वो नाराजगी हमेशा के लिए थी
आज जब हम दोनों अलग हो गए हैं
तो वो सारी बाते याद आती हैं

जिन्दगी में कभी तन्हा न थे
लेकिन आज कुछ जरुर लगता हैं
उदासी का ये आलम कुछ
अपनासा  सा लगता हैं.

आज मैं उन बातों को
भुलाना चाहता हूँ
एक नयी जिन्दगी
फिरसे गुजारना चाहता हूँ.