रविवार, 5 फ़रवरी 2012

युवी और हम

दो दिन पहले कैंसर डे मनाया गया और आज भारत के प्रतिभाशाली खब्बू खिलाडी युवराज सिंह को कैंसर होने की खबर मिली. सारा देश इस खबर से सकते में आया हैं. हालाकि ये डरनेवाली बात नहीं ऐसा  डोक्टोरोने कहा हैं लेकिन इससे ये जरुर जाहिर होता हैं के भारत ये पसंदीदा खिलाडी अब अगले कुछ दिन तक नहीं खेलने वाला.
कितने  अजीब होते  हैं ये  जिन्दगी के रिश्ते. कुछ दिन पहले युवी अच्छा नहीं खेल रहे तो तो उन्हें बाहर  बिठाने की बात कही जा रही थी. ये वोही युवी हैं जिन्होंने एक ही ओवर में ६ छक्के लगाये हैं और भारत को जितवाया हैं.
आज उनकी ये बीमारी की खबर सुनकर सबको बहुत बुरा लगा हैं और कईयों ने उनके ठीक होने की दुआ भी की हैं.
हर बीमार आदमी की तरफ देखने का दृष्टिकोण अलग होता हैं. दुश्मन भी न क्यों हो सब लोग उसके अच्छे होने के बारे में प्रार्थनाएं करते हैं. उसकी खुशहाली की दुआ मांगते हैं. आखिर ऐसा क्यों होता हैं. आदमी ऐसा क्यों करता हैं. कभी कभी पता ही नहीं चलता की ये वोही लोग हैं जो उसी व्यक्ति को गलियां दे रहे थे. यही एक सच्चा प्यार हैं जो आदमी को आदमी से जोड़ता हैं. ये एक अनमोल धागा हैं जो अपनों को नजदीक लाता हैं. 
युवी एक उदाहरण हैं समाज का, उसके अच्छे बुरेपन का. संस्कृति का. आदमी के  उसके मन में  अलग अलग भावनाएं पनपने  लगती हैं. लोग अपने भावनाओंको समझ नहीं पाते. ये एक ऐसी परिभाषा हैं जिसे हम एक सूत्र में नहीं बांध सकते.
आज कई ऐसे लोग हैं जो कैंसर जैसे रोगों से पीड़ित हैं. युवी के इस बीमारी के बाद हम सभी ऐसे लोगों के प्रति अच्छी भावनाओंके साथ अच्छा व्यवहार करे. उनके प्रति संवेदनाएं जताएं. आओं हम सभी लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करने की शपथ लें और उन्हें हमेशा खुश रखने की कोशिश करें.
 युवी और हम