रविवार, 25 जुलाई 2021

बारिश की बुंदे



घने बादलोंसे इक अजीब हलचल मच गई थी। बारिश आने के आसार कुछ जादा थे। लोक जल्दी जल्दी अपने घर पहुंचना चाहते थे। आकाश को जाने की उतनी जल्दी नही थी। वो अपना काम अपने तरीके से निपटाना चाहता था। अंधेरा सा छाया हुआ था। थोडी देर मे उसने अपना सारा काम निपटा लिया और वो ऑफिस के निचे आ के रुक गया। बारिश ही हलकी बुंदे गिरने लगी थी। आकाश को फिकर नही थी। वो बारिश मे निकलकर ऑफिस के सामने बस स्टॉप पर आकर रुका। अभी उसकी बस आने मे देर थी। उसने सोचा कुछ खा लेते हैं। सामने से एक मुंगफलियां बेचनेवाला जा रहा था। उससे उसने कुछ मुंगफलियां खरिदी और बस आने का इंतजार करने लगा। बस स्टॉप पर भीड नही थी। अचानक उसके बाजू मे इक गोरी सी लडकी आके रुक गई। उसने आकाश से पुछा, मलाड बस आई क्या। आकाश को पता नही था। फिर भी उसने कहा, नहीं अभी। बारिश मे भीगकर उस लडकी का बदन छरहरा सा लगने लगा था। मुंगफलि फेंकते समय आकाशने उस देख लिया था। ऐसे मौसम में इतनी खुबसुरत लडकी को देखकर उसे कुछ सुझ नही रहा था। वो लडकी बार बार रस्ते पे आने वाले बस को देखती और न होने पर बस स्टॉप पे आ कर रुकती। थोडी देर हो रही थी, तो उस लडकी के चेहरे पर चिंता थी। आकाश ने फिर हडबडी मे पुछा, आप कहां जाने वाली है, लडकी ने कहा मलाड। आकाश ने बोला मैं भी मलाड ही जा रहा हुँ। इस्ट या वेस्ट, लडकी ने कहा वेस्ट। आकाश ने कहा मैं भी। क्यों न रिक्षा करके जाऐं। लडकीने आकाश की तरफ देख लिया। उसके मन ही मन में आकाश के बारे मे अलग सोच थी, लेकिन देर हो जाने की वजह से उसने कहा, ठीक है। फिर आकाश ने सामने से जानेवाले रिक्षावाले से पुछा, मलाड चलोगे, उसने कहां, हाँ। दोनो रिक्षा मे बैठ गये। रास्ते में दोनो कम ही बात कर रहे थे। आकाशने उससे जादा कुछ पुछा नहीं। कहाँ काम करती हो, टाईम क्या है, हमेशा इसी बस से आती हो क्या आदि। मलाड वेस्ट में एक जगह वो लडकी उतरी। पैसे दिये और निकल पडी। सामने वाले बिल्डिंगमे वो गई। आकाश उस लडकी को आखिर तक देखता रहा। बारिश मे वो भीगा था, लेकिन लडकी को देखकर वो सारा गिलापन भुल गया था। मन ही मन उसके लड्डु फुटने लगे थे। वो दुसरे दिन का इंतजार करने लगा। उस लडकी के घर के सामने वाले बस स्टॉप पे।