शनिवार, 21 फ़रवरी 2015

संघर्ष

चलो कही बैठते हैं , लडकी बोली
कहां, लडके ने पुछा
यही पास वाले कॉलेज के पेड के नीचे
फ़िर वो दोनो चलने लगे
एक दुसरे के तरफ वो देखते कभी खुद पे हसते
उसने पुछा तुम काफी लंबी हो
लडकी हसकर बोली जादा नही, तुमसे थोडी छोटी हु
फिर वो अपने आपसे उसकी उंचाई को नापने लगा
कंधे तक वो उसे देखता था
दोनो फिर एक कॉलेज के सुनसान पेड के पास जा बैठे
कुछ दर तक को वो दोनो कुछ न बोले
अरे वो छोटा वाला लडका अच्छा है, लडके ने कुछ बोलने के लिये कहा
वो मुस्कराई, हां वो मुझसे छोटा है
लेकीन उसकी एक प्रोब्लेम है उसकी गर्लफ्रेंड शादी को मना कर रही है
लडका सिरिअस हो गया
वो बोली दोनो अलग जाती कें है
लडकी पहले तय्यार थी  अब ना  बोल रही है
फिर अब क्या होगा
लडका कह रहा है शादी करुंगा तो सिर्फ उसीसे
थोडी दर वो चुप रहे
लडके को अहसास हो गया था
वो आगे की सोच रहा था , दुनिया से काफी लडना होगा
संघर्ष के लिये तय्यार हो जावो



बुधवार, 18 फ़रवरी 2015

कॉफी की गर्माहट

क्या पिओगे, लडकी ने लडके से रेस्तरां में पुछा 
अब लडका इधर उधर देखने लगा, उसे कुछ सुझ नही रहा था. 
चलो नेस्कॅफे पिते है, लडकी बोली
अभी वो कुछ बोलने के मुड में नही था 
अपनी गर्दन हिलाते हुए लडके ने हामी भरी. 
अब क्या करे उसके आगे बडा सवाल था 
किसी लडके के साथ रेस्तरां में जाने का उसका पहला मौका था 
वो रेस्तरां में इधर उधर देखने लगा 
लडकी ने ये पहचाना था. उसकी आंखो में आंखे डालके वो उसे देख रही थी 
लडका काफी शर्माकर कभी उसके तरफ देखता तो कभी वेटर की तरफ 
दोनो के बीच एक अजब सी उलझन थी 
लडकी ने कहा बोलो 
लडका सिर्फ़ हस रहा था, मानो वो कह रहा हो क्या बोलुं 
उसने कहा ये रेस्तरा कौनसा है, लडकी हसने लगी 
उसने पुछा क्या हुआ, लडकी ने कहा हम इधर कॉफी पिने आए हैं होटल के बारे में जानकारी के लिये नही 
कॉफी पिते पिते वो कभी लडकी को देखता कभी कॉफी के प्याली को. 
उसे अच्छा भी लग रहा था और ये डर भी था क्या बोलुं 
धिरे धिरे कॉफी खत्म होती रही और उसकी गर्माहट भी 


सोमवार, 16 फ़रवरी 2015

पहली मुलाकात

अरे कहां हो, तुम्हे कैसे पह्चानुंगी. पहली बार जो मिल रहे हैं 
स्टेशन के बाहर आते ही  उसने फोन पे पुछा 
उसने कहा, कमाल करती हो. 
तुम्हे कैसे पहचान पाउंगी, चलो तुमने क्या पहना है, 
उसने कहा, कपडे. 
हाहाहाहा, वो जोर से हसने लगी
अरे बाबा मेरा मतलब है कौनसे कपडे पहने है 
ली वाईस की  जीन्स और जोडीयक का शर्ट. 
स्टेशन के बाहर आकर स्टेडीअम के रास्ते की  तरफ वो बढ गया 
थोडी देर आगे बढ गया  के पिछे से हॉर्न की आवाज आई. 
उसने पिछे मुडकर देखा तो वो सन्न रह गया 
इतने दिनो से वो जिससे फोन पे बाते करता था, वोही उसके सामने खडी थी. 
जिस प्रकार से उसे सिधी सादी लडकी समझता था, बिलकुल उसके विपरित उसे दिखा 
कुछ देर तक भौचक्का रहने के बाद, क्या देख रहे हो आवाज से ही वो होश में आया. 
जीन्स और लम्बासा शर्ट  पहने हिरो होंडा बाईक पर खडी थी वो 
ऐसा देख उसको  काफी ख़ुशी हो रही थी, मानो इसे कैसे अचरज में डाला 
फिर नजदीक आकर कहा, बैठ जावो किसी रेस्तरा में जातें हैं 
जिंदगी में पहली बार किसी लडकी को घुमाना तो दूर लडकी के पिछे बैठा था वो 
पिछे बैठते ही अजीब सी खुशबू उसके दिमाग मी दौडने लगी. स्प्रे का नाम नही मालुम था, लेकिन वो सुनहरी सुगंध अपने मन मे समाये गाडी पे बैठ के जा रहा था, कोई परी थी जो उसे उडाये लिये जा रही थी. दुर बहुत दुर. वो भी उडकर जा रहा था. 





रविवार, 15 फ़रवरी 2015

क्यो अच्छी लगती हो

तुम तब्बु के फ़ैन हो क्या, मैने उससे पुछा,
उसके ओर्कुट प्रोफाईल पे तब्बु का फोटो देखकर मै उससे जी चाट पर बाते कर रहा था
उसने कहा, हां
मैने कहा, क्यु
उसने कहा, ऐसेही मुझे अच्छा लगा इसीलिये
तुम्हे क्यू पसंद है वो, उसने पुछा
अब क्या जवाब दु ,सुझ नही रहा था.
मैने कहा अच्छी लगती है. लंबी है, खुबसूरत है.
उसने कहा, ओह ऐसा है
मैने कहा हा, मुझे अच्छी लगती है
उससे जी चाट पर बाते करते समय ऐसा लग रहा था मानो मै तब्बु से बाते कर रहा हुं.
मै ऎसी बातो का कायल नही था लेकिन मुझे अच्छा लग रहा था. न जाने क्युं मै अपने आपको उसके आगे समर्पित कर रहा था. बहाना तब्बु का था लेकिन मै उसे उस रुप में देख रहा था. अच्छा लग रहा था उससे बाते करते वक्त. ठंड भी थी लेकिन एक अजब कि कशिश थी उन बातो में.