सोमवार, 4 अक्तूबर 2010

राहें

गुमनाम राहें सिखाती हैं हमें,
अकेलेपन में दिया नजर आती हैं हमें.

हजारों रह्गुजरों से इतराती नहीं ,
सुनसान समय में निराश होती नहीं,
सही मायने में जिन्दगी का अंदाज़ सिखाती हैं हमें.

ऊपर, निचे अनगिनत हैं हाल भी,
भले ही कई मोड़ आते हैं फिर भी,
सीधा चलना सिखाती हैं हमें.

भागती जिंदगी का साथ देती हैं.
लगी ठोकर तो उठना सिखाती हैं,
हारे हुए पैरों में जान फूंक देती हैं हमें.

गुमनाम राहें सिखाती हैं हमें,
अकेलेपन में दिया नजर आती हैं हमें.