हर तरफ से कोई जवाब नहीं,
तुझे कहाँ कहाँ आवाज दे.
क्या तु इन सब वाकियों से नाराज हैं,
क्या तुझे इन सभी लोगों से खफा हैं,
लेकिन तु तो कहता हैं के ये तुने ही बनायें हैं,
फिर गलती कहाँ हो रही हैं, उनको कोई सवाब दे.
सब कहते तेरे बन्दे हैं,
फिर भी सबके हाथ गंदे हैं,
क्या कोई तुझसे डरता नहीं,
क्या कोई तुझपे मरता नहीं, इसका कोई हिसाब दे.
सब अपने आप को तुझसे बड़ा मानते हैं ,
जब कोई आति हैं आफत तभी तेरा होना मानते हैं,
सब जानते हुए भी अनजान हैं,
फिर भी तुझसे खुश देखना चाहते हैं, उनको कोई नकाब दे.
मंगलवार, 12 अक्तूबर 2010
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