सोमवार, 14 मार्च 2011

दो व्यक्ति

कुछ लोग जिन्दगी में आते हैं और चले जाते हैं। लेकिन कुछ ऐसे होते हैं जो सही मायने में जिन्दगी को एक नया मोड़ देते हैं। उन्हें आगे बढ़ने में सहायता करते हैं। मैं आज दो लोगों की बात करूँगा एक हैं अतुल पेठे और दुसरी हैं अंजलि गुर्जर। पिछले दिनों नाशिक में एक वोर्क्शोप हुआ। जहाँ पे में काम करता हूँ उस लोकमत द्वारा। पहले ही दिन मुझे एक ऐसे शख्स मिले जो मुझसे भी उम्र में बड़े होकर चुस्तिले और फुर्तीले थे। बकाये तौर पे वो काफी नौजवान हैं। ऐसा शख्स मैंने पहले कभी नहीं देखा। इतना की आदमी की प्रतिभा इतनी ज्यादा हो सकती हैं मैंने पहली बार देखा। आपने आप में झाँकने को उन्हों ने सिखाया। मैं भी कई बार दंग रह गया की क्या मुझमे वाकई ऐसा कुछ हैं जिसके तरफ मैं अच्छे नजर से देख सकता हूँ। क्या क्या नहीं सिखाया उन्होंने। चित्रकला, संगीत, नृत्य, नाटक और भी बहुत कुछ। अपने मन के अन्दर की चौथी खिड़की खोलने को उन्होंने सिखाया।
इस भाग दौड़ भरी जिन्दगी से कुछ निज़ात पाने के लिए ये वर्क शॉप जरुरी था। लेकिन जिस प्रकार से अतुल पेठेजी ने हमें सिखाया वो किताब के बाहर भी एक जिन्दगी हैं। उसके तरफ किस नजर से देखे वो पढने जैसा था। हम पत्रकार के अलावा भी कुछ हैं एक इंसान उसीका अंदाज़ा उन्होंने दिखाया। मैं उनकी कला की क़द्र करता हूँ और उन्हें नमन करता हूँ।
एक और हस्ती से मैं मिला उनका नाम था अंजलि गुर्जर। वैसे उनकी मुलाकात एक बस में हुई। मैं रिच डैड एंड पुअर डैड किताब पढ़ रहा था। वो मेरे पास पास वाले सिट पे बैठी थी। कुछ देर बाद उन्होंने पुचा इस किताब में क्या हैं। उसके बाद उन्होंने जो उनके बारे में बताया वो अजब था। एक महिला जो नया सोचती हैं वो सुनके मैं दंग रह गया। क्या क्या नहीं किया उन्हों ने। ट्रेकिंग, राफ्टिंग सभी किया। उनकी और भी बड़ी इच्छा हैं। काश मैं उनकी तरह कुछ कर पाता। मुझे उन्होंने कुछ बताया, या सिखाया मैं जिन्दगी भर नहीं भूल पाऊंगा। बहुत ही उम्दा महिला और बहुत आशादायी महिला। उन्होंने बहुत सारे जगह पे जाके उसका अभ्यास किया हैं। और बार बार जाने की इच्छा भी हैं उनकी। मै काफी खुश हूँ उनसे मिलके और आशा करता हूँ के आगे भी मिलु और उनसे और ज्ञान प्राप्त करू। मैं उनको प्रणाम करता हूँ.