सोमवार, 30 मई 2011

कुछ अलग

बहुत दिनों के बाद लगा के ब्लॉग पे कुछ तो लिखूं। आये दिन कुछ खास नहीं रहा है। आयपीएल खत्म हुआ और लोग भूल भी गए की कुछ हुआ था। बाकि क्रिकेट अब बोअर होता जा रहा है हर दिन मैच देखी नहीं जाती। जैसे हर रोज अच्छा खाना कुछ फीका सा लगता हैं उसी तरह। बारिश हो रही हैं लेकिन उसमे भी अलग सा मजा नहीं आ रहा। कुछ लोग जरुर कहेंगे की हमें हर चीज़ में नयापन ढूँढना चाहिए। भ्रष्टाचार से लोग उकता गए हैं। अन्ना हजारे के अनशन को भी लोग भूल गए हैं। आदमी की सोचने की शक्ति अब कम होते जा रही हैं। इसीलिए लोग बहुत कम समय तक सोचते हैं और भूल जाते हैं।
नया कुछ अच्छा पढने को भी नहीं मिल रहा। लोगोंको वही वही पढ़कर बोअर होने लगा हैं। लोगों को इसीलिए कुछ चटपटा चाहिए। कुछ अलग। खेती और किसान के बारे में पढने को लोगों को इंतना मजा नहीं आता। हाँ अगर प्याज और चीनी के दाम बढ़ गए तो लोग चिल्लाने लगते हैं। सब्जी, दाल और आटे के भाव बढ़ गए गए तो लोगों को लगता हैं किसान हमारी जेब पे डाका डाल रहे हैं। इसीलिए लोग किसान की आत्महत्या के बारे में भी पढना नहीं चाहते। ये भी दिन जायेंगे.