सोमवार, 16 फ़रवरी 2015

पहली मुलाकात

अरे कहां हो, तुम्हे कैसे पह्चानुंगी. पहली बार जो मिल रहे हैं 
स्टेशन के बाहर आते ही  उसने फोन पे पुछा 
उसने कहा, कमाल करती हो. 
तुम्हे कैसे पहचान पाउंगी, चलो तुमने क्या पहना है, 
उसने कहा, कपडे. 
हाहाहाहा, वो जोर से हसने लगी
अरे बाबा मेरा मतलब है कौनसे कपडे पहने है 
ली वाईस की  जीन्स और जोडीयक का शर्ट. 
स्टेशन के बाहर आकर स्टेडीअम के रास्ते की  तरफ वो बढ गया 
थोडी देर आगे बढ गया  के पिछे से हॉर्न की आवाज आई. 
उसने पिछे मुडकर देखा तो वो सन्न रह गया 
इतने दिनो से वो जिससे फोन पे बाते करता था, वोही उसके सामने खडी थी. 
जिस प्रकार से उसे सिधी सादी लडकी समझता था, बिलकुल उसके विपरित उसे दिखा 
कुछ देर तक भौचक्का रहने के बाद, क्या देख रहे हो आवाज से ही वो होश में आया. 
जीन्स और लम्बासा शर्ट  पहने हिरो होंडा बाईक पर खडी थी वो 
ऐसा देख उसको  काफी ख़ुशी हो रही थी, मानो इसे कैसे अचरज में डाला 
फिर नजदीक आकर कहा, बैठ जावो किसी रेस्तरा में जातें हैं 
जिंदगी में पहली बार किसी लडकी को घुमाना तो दूर लडकी के पिछे बैठा था वो 
पिछे बैठते ही अजीब सी खुशबू उसके दिमाग मी दौडने लगी. स्प्रे का नाम नही मालुम था, लेकिन वो सुनहरी सुगंध अपने मन मे समाये गाडी पे बैठ के जा रहा था, कोई परी थी जो उसे उडाये लिये जा रही थी. दुर बहुत दुर. वो भी उडकर जा रहा था.