शुक्रवार, 7 दिसंबर 2012

मां या डायन

आज लंडन कि एक खबर पढकर बहुत गुस्सा आया . कुरान की आयतों को याद न कर पाने के कारण एक मां ने अपने बच्चे को इतना पिटा कि उसकी मौत हो गई. अब इसे क्या कहे. क्या कोई मां ऐसा कदम उठ सक्ती है. क्या कुरान ऐसा कही लिखा है जोर जबरदस्ती करो. उस बच्चे का क्या दोष था. वेल्स के शहर कार्डिफ में सारा एज नामक 33 वर्षीय महिला ने अपने बेटे यासीन एज को साल 2010 में मारने के बाद उसके शरीर को जला दिया था. पहले ये समझा गया कि यासीन की मौत घर में ही किसी वजह से हो गई होगी लेकिन जांच के बाद पता चला कि उसकी मौत काफी पहले हो गई थी और बाद में उसे जला दिया गया था. इससे इस्लाम कि तरफ देखने का नजरिया बदलता है. कोई भी धर्म या समाज ये कभी नही कहता के जोर जबरदस्ती से आगे जा सकता है. एक जिम्मेदारी निभाते हुए उसे पहले उस लायक बनाना था. जिसमे पहले उसे कुरान के बारे में बताना चाहिये था. लेकीन आज जिस तऱ्ह सभी जगह से गुस्से का इजहार किया गया उससे ये बात सबके समझ में आयी है. हमें जो चिज अच्छी लगती है जरूरी नही के वो अपने बच्चो को भी अच्छी लगे. अपने बच्चो को समझे उनकी भावना का सम्मान करे .