बुधवार, 29 सितंबर 2010

तेरे कदम

चलूँ मैं साथ तेरे
कदम से कदम मिलाके.

कई बार चलूँ तुझसे कन्धा मिलाके
हाथ से हाथ धरे साथ मिलाके.

कई बार चलूँ तेरे आगे
रास्तें पे बिखरे काँटों पे चलके.

तेरे पिछे चलने भी लगती हैं ख़ुशी
रक्खे हैं जिस मिटटी पे कदम तुमने.

तुम कहीं भी हो तो सच इतनासा हैं,
दिल के हर कोने बसा एक सपनासा हैं.

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