शुक्रवार, 29 अक्तूबर 2010

सुबह

सुबह होती है और शुरुआत होती है,
जिंदगी के नये सफ़र की.

भोर की पहली किरण निकलते ही ,
वो मंदिरों से आती हुई शहनाई की आवाजें,
मस्जिदों से आती हुई अजान की पुकार,
नदी के किनारे स्नान करते हुए लोगों की प्रार्थनाएं.

बच्चों की स्कूल के लिए चल रही तय्यारी,
दूधवाला और पेपरवाला भी दौड़ रहे है,
हर को पहुंचना है सही समय पे,
किसको समय है दुसरे की तरफ देखने के लिए.

सुबह का उगता हुआ सूरज,
सबको सिखाता हैं जिने का अंदाज़,
कल क्या हुआ ये न सोचो,
आज क्या होगा इसके लिए तैयार रहो.

दिन ढलने से आई हुई थकान,
सुबह के ठंडी हवाओं की ताजगी,
देती हैं उर्जा फिरसे कम करने की,
ये सुबह बार बार देती हैं जनम.

हर सुबह नयी लगती है,
बिलकुल दुल्हन की तरह,
व्याकुल अपने हमसफ़र को मिलने को,
और नए घर को फिरसे सँवारने को.

सुबह आये तो महक उठे समां,
फुल खिल उठे और कोयल चहकने लगे,
वो सुनसान सा जंगल भी,
किसी शादी के मंडुए की तरह लगे.

1 टिप्पणी:

  1. हर सुबह नयी लगती है,
    बिलकुल दुल्हन की तरह,
    व्याकुल अपने हमसफ़र को मिलने को,
    और नए घर को फिरसे सँवारने को.


    Lovely lines !

    .

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